इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने लखनऊ के कई क्षेत्र में पेयजल की समस्या बने रहने पर तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा है कि अब वक्त आ गया है कि नगर निगम जाग जाए। जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान कोर्ट के संज्ञान में लाया गया कि शहर के सराय हसनगंज, बरौरी, बरौलिया, अकबर नगर, हरदासी खेड़ा, डूडा कालोनी, दमदन का पुरवा, चिनहट व मटियारी इलाकों में पेयजल नहीं उपलब्ध कराया जा रहा है।

इस पर कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए नगर निगम को आदेश दिया है कि वह प्रभावित क्षेत्रों का सर्वेक्षण कर साफ पेयजल मुहैया कराना सुनिश्चित करे। यदि इस संबंध में यदि कोई समस्या हो तो उसके समाधान का उपाय करें। कोर्ट ने अगली सुनवाई 29 मई तय करने के साथ नगर निगम से हलफनामा भी तलब किया है। न्यायमूर्ति राजन राय व न्यायमूर्ति ओमप्रकाश शुक्ला की खंडपीठ ने यह आदेश उत्कर्ष सेवा संस्थान की ओर से दाखिल वर्ष 2016 की जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान पारित किया।

सुनवाई के दौरान जल निगम की ओर से पेश अधिवक्ता ने न्यायालय को बताया कि साफ पानी उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी नगर निगम के जलकल विभाग की है। न्यायालय के संज्ञान में यह भी लाया गया कि उक्त समस्या के समाधान के लिए जल निगम व राज्य सरकार के अधिकारियों की बैठक भी हो चुकी है, परंतु कोई ठोस नतीजा नहीं निकला।

वहीं याची की ओर से अधिवक्ता मोतीलाल यादव ने दलील दी कि वर्तमान याचिका वर्ष 2016 में ही दाखिल की गई थी, लेकिन आज भी पेयजल की समस्या जस की तस है। इस पर कोर्ट ने सख्त रुख अपनाते हुए कहा कि नगर निगम ने आज तक जवाबी हलफनामा भी नहीं दाखिल किया है। नगर निगम की इस प्रकार की उदासीनता की सराहना नहीं की जा सकती।

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